Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 81( before the exam-1)

उसके बाद बड़े भैया का एक और कॉल आया जब वो हॉस्टल  के बाहर खड़े थे...मैं तुरंत भाग कर बाहर गया और उनके पैर छुकर उनके हाथ मे जो भी खाने-पीने का समान माँ ने घर से मेरे लिए भिजवाया था उसे अपने हाथो मे लेकर भैया के साथ अपने रूम पर आया....

हमारे हॉस्टल  मे रहने वाले लौन्डो की सबसे बुरी आदत ये थी कि यदि उन्हे मालूम चल जाए कि फलाना लड़के के घर से कोई मिलने आया है तो वो उस फलाना लड़के के रूम मे किसी ना किसी बहाने से जाकर ये जरूर देखेंगे कि  कुछ खाने का समान आया है कि नही और यदि खाने का समान आया है तो कितना आया है, क्या आया है.... ताकि अपने पेट को वो एडजस्ट कर सके... इस वक़्त मेरे साथ भी यही हो रहा था, जब से बड़े भैया आए थे तब से कई  लड़के रूम मे आते ,बड़े भैया को नमस्कार करते और फिर बिस्तर पर पड़े खाने के बैग को देखकर लार टपकाते हुए चले जाते.....

"तेरे हॉस्टल  के लड़को को कोई काम धाम नही है क्या..?? ,जब से देख रहा हूँ ,10-12 लड़के तेरे रूम का चक्कर लगा चुके है...."बड़े भैया ने पुछा...

"वो सब छोड़ो और ये बताओ कि इस तरह अचानक कैसे आना हुआ..."

"वो पिताजी ने कहा था कि मैं तुझे बिना बताए ही आउ,जिससे हमे मालूम चल सके कि तू रहता किस हाल मे है..."पूरे रूम की तरफ सी.आइ.डी. वाली नज़र डालते हुए बड़े भैया ने आगे कहा"वेल...रूम तो सॉफ करके रखा है...गुड"

"थैंक  यू भैया..."

"तेरा नाम क्या है भाई..."अरुण की तरफ देखते हुए बड़े भैया ने कहा...

अरुण इस वक़्त बुक खोलकर पढ़ने की नौटंकी कर रहा था, जैसे ही बड़े भैया ने सवाल पुछा उसने तपाक से अपना नाम बताया और फिर पढ़ने की एक्टिंग करने मे बिज़ी हो गया...

"अरमान, that's spirit ...ऐसे होते है पढ़ने वाले लड़के..."अरुण का एक्साम्प्ल देते हुए उन्होने अरुण से उसके फर्स्ट सेमेस्टर के रिज़ल्ट के बारे पुछा... और तब मुझे बहुत जोर से हंसी आई, जिसे रोकने के कारण मै ख़ासने लगा

"ऑल क्लियर..."

"क्लियर तो सिर्फ़ एक दिन पढ़ने वाले भी कर लेते है यार... मार्क्स क्या थे "

"8.9 ,क्लास मे 3rd रैंक ."अरुण ने एक दम सीरीयस होते हुए जवाब दिया और फिर दूसरी बुक खोलकर पढ़ने बैठ गया....
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जब बड़े भैया अरुण से सवाल-जवाब कर रहे थे तभिच मुझे ध्यान आया कि आलमरी मे सिगरेट की कुछ पैकेट्स रखी हुई है...

"कहीं भैया आलमरी ना खोल दे, वरना सारी इज़्ज़त का कबाड़ा हो जाएगा "

"ये तेरी आलमरी है..."विपिन भैया ने मानो मेरा मन पढ लिया हो.. मेरे अलमारी मे रखे सिगरेट के पैकेट के बारे मे सोचते ही उन्होंने अलमारी कि तरफ इशारा करके मुझसे पूछा

"हां...ना..मेरा मतलब हां,लेकिन क्यूँ...आपने क्यूँ पुछा..."

"खोल तो..."

"वो अभी नही खुल सकती..."

"अभी नही खुल सकती...ऐसा क्यूँ, क्या सिर्फ शुभ मुहूर्त मे ही आलमरी खोलता है क्या..."

"इसकी चाभी गुम हो गयी ,आज सुबह-सुबह..."

"तो फिर ला ,ताला तोड़ देते है..."बड़े भैया आलमरी की तरफ जाते हुए बोले...

"भैया ..रूको..."मैं एक दम से कूद कर आलमरी और बड़े भैया के बीच मे आ गया...

"आर यू ओके"

"आइ'म ओक..."

"फिर हट सामने से..."

"ताला तोड़ने की ज़रूरत नही है...मेरे पास एक्सट्रा चाभी है. अभी अचानक याद आया .."

"तो ला दे वो एक्सट्रा चाभी..."

"एक्सट्रा चाभी ही तो गुमी है...शाम तक मिल जाएगी..."

"पहले बोलता है कि एक्सट्रा चाभी है, फिर बोलता है कि एक्सट्रा चाभी ही गुम हो चुकी है और अब बोल रहा है कि शाम तक चाभी मिल जाएगी....तू पागल तो नही हो गया"

"मैं एक दम ठीक हूँ भैया, वो क्या है ना कि, ये चाभी मुझसे हमेशा खो जाती है,लेकिन फिर इधर-उधर पड़ी मिल जाती है...."
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मेरे इस बर्ताव पर बड़े भैया कुछ देर तक चुप रहे और फिर बहुत देर तक मुझे घूरते रहे...

"तू काफ़ी बदला-बदला लग रहा है..."

"काफ़ी से याद आया, चलिए आपको कॉफी पिलाता हूँ, पास वाले गोमती के पास एक दम झक्कास कॉफी मिलती है..."

"पर आते वक़्त तो मुझे कोई भी दुकान आस-पास नही दिखी..."

"है ना ,2 किलोमीटर की दूरी पर,आपने ध्यान नही दिया होगा..."

"2 किलोमीटर दूर को....  तू आस-पास बोलता है..?."

"कौन सा पैदल जाना है, बाइक से पहुचने मे 5 मिनट भी नही लगते..."

"ज़्यादा बड़ा हो गया है तू,..मुझे कोई कॉफी नही पीनी,चुप चाप इधर ही बैठ वरना खींच के एक लाफा दूँगा..."

भैया को रूम से निकालने की मेरे सारे हथकंडे विफल हो गया... उल्टा भैया, ने मुझे रूम ही रहने का आदेश दे डाला...  अब मैं क्या करता..चुप चाप अरुण के बिस्तर पर बैठ गया...

"तेरे साथ मुझे नही,तेरे भैया को ही रहना चाहिए...तभी तू शांत रहेगा..."धीमी आवाज़ मे अरुण बोला...

"चुप कर वरना...यही ठोक दूँगा..."मैं भी खुस्फुसाया और विपिन भैया की तरफ देखा, मुझे हड़का कर वो अब बिस्तर पर सो रहे थे...और जैसे कि उन्होने मुझे बताया था उसके हिसाब से उनकी ट्रेन शाम को थी...मैं हर आधे घंटे मे अपनी घड़ी देखता और इंतज़ार करता की जल्द से जल्द शाम हो जाए और मुझे मुक्ति मिले...दोपहर को खाना खाने के लिए मैने बड़े भैया को उठाया, लेकिन उन्होने हॉस्टल  की कैंटीन  मे खाने से मना कर दिया और घर से जो लाए थे उससे अपना पेट-पूजा करके कुछ देर तक मुझसे और अरुण से बाते की और फिर ये बोलकर सो गये कि शाम को 4 बजे मैं उन्हे उठा दूं....भैया को सोता देख मैने राहत की साँस ली

"चल बे एक साइड..."अरुण को एक लात मारकर साइड होने के लिए मैने कहा...

"अरमान...खाने वाला बैग खोल ना..."

"मुँह बंद कर नही तो जूता ,चप्पल डाल दूँगा मुँह मे..."

"यदि ऐसा करेगा तो फिर मैं बड़े भैया से बोल दूँगा कि तू सिगरेट पीता है,दारू भी पीता है,मार-पीट भी करता है और साथ मे लौंडियाबाजी ,सीटियाँबाजी भी करता है...."

"अच्छा , फिर मैं बड़े भैया से बोलूँगा की मुझे सिगरेट पीना तूने सिखाया, दारू की लत तूने डाली और लौंडियबाज़ी मे तू भी मेरे साथ रहता है... और दो बार गर्ल्स हॉस्टल मे bhu के साथ घुस चुका है "

"अरमान, यू आर प्लेयिंग वित माइ लेफ्ट साइड..."

"अब बकवास बंद और ये बता कि तूने अपना रिज़ल्ट ग़लत क्यूँ बताया..."

"इंप्रेशन...बेटा इंप्रेशन...तू खुद सोच की तेरे भाई को यदि ये मालूम होता कि मेरी फर्स्ट सेमेस्टर मे बैक  लगी हुई है तब उनका इंप्रेशन क्या होता..."

"चल खड़ा हो और वो मिठाई का डिब्बा उठा..."

"सच..."अरुण खुशी से बोला..

"नही... मज़ाक कर रहा हूँ, भाभी है ना तू मेरी... बकलोल... अबे चल जा..."

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1 Comments

Raghuveer Sharma

27-Nov-2021 06:38 PM

बड़े भाई का खौफ😅😅😅😅 गजब का वर्णन👌👌

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